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मांगै वोट मजूर सूं, बांरी भासा बोल।
बस जीत्यां बिसराय दै, करिया थकाज कोल।।501।।

सिमरथ भासा सांवठी, मजदूरां घण मांन।
मांग करै नीं मान्यता, नेता जीत निकांम।।502।।

वोट मांगता आय बस,राजस्थानी रास।
जीतवोट दीधा जिकां, नेता करै निरास।।503।।

राजस्थानी घण सरस, भल साहित भण्डार।
नेतां कारण ना मिली, मानीता मनवार।।504।।

कायल कुरसी कारणै, नेता मानै नांय।
राजस्थानी जीत रस, भासा दै विसराय।।505।।

भासा री ताकत बड़़ी, मन समझै न मजूर।
नेता स्वारथ न्हालता, दिल भासा सूं दूर।।506।।

चरचा करै चिणाव री, बसती मांय बिगाड़।
रग रग मांही रम रही, राजनीत री राड़।।507।।

ऐलम करबा आपरा, चालै चक्र चिणाव।
घालै पारटिया गजब, घर घर मांही घाव।।508।।

थांबा बिजली गाड थिर, पांणी देस्यां पूर।
कमी न राखां कैणरी, मौहल्ला में मजदूर।।509।।

नेटा वोटां नेह में, झूठ बिछावै जाल।
फसै देकनै फायदौ, झट मजूर जंजाल।।510।।

कुतरै भारत करणिया, नेता ऊंदर नांव।
सुन्दर दीखै स्वारथी, देख चलावै दांव।।511।।

करणी रा आछा केई, नेतां मन नखनेत।
कहवै ज्यूं ही बै करै, चिंत मजूरां चेत।।512।।

संगठण
क्रूरपणै मालिक कुमत, द बंधुवा मजदूर।
दुखी करावै देसमें, हालीपणौ हजूर।।513।।

खेतीहर मजदूर खुद, निभणा मुसकिल नेम।
बेसी न्यारा बिखरिया, करै एकता केम।।514।।

कमठै पै क्रोडां करै, मुलकां काम मजूर।
आं में नांही एकता, दरस परस घण दूर।।515।।

ईंटां भट्टां ऊपरै, लाग रया घण लोग।
मिल एकट चालण मगां, ज्यांरै नांही जोग।।516।।

आपस मांही एकता, मग बहवै मजदूर।
सांचौ होयां संगठण, सकां जिंदगी सूर।।517।।

फूल रया घणा फैक्ट्रयां, मुलकै मीलां मांय।
आपसरी री एकता, सकां करावै साय।।518।।

इण धरती रै ऊपरा,ं धाकड़ बड़ा उद्योग।
आणंद एकट आवसी, लहै मजूरी लोग।।519।।

वेतन भत्ता वापरै, ओवर टाईम और।
मुलकां मांय मजूरियां, संगठण सैंजोर।।520।।

हर हफत्‌े छुट्टी हुवै, पूरी पाय पगार।
जुगत काज एकट जठै, पेमंट पटकै पार।।521।।

किसतां तनखां सूं कठै, लहै अलेखूं लोन।
सोरा सारै संगठण, मिलै मजूर न मौन।।522।।

कड़ा संगठण कारणै, सुविधि लीनी सोय।
पाय संगमा पेन्सन, हां रेटायर होय।।523।।

मरतां हक मजदूर रै, हां हड़तालां होय।
जठै यूनियन जौर मे, सुधरै कारज सोय।।524।।

'सीटू' 'एटक' संगठण, ईटक बी एम एस।
अड़िजंत हकहित खड़ी, पड़ै मजूरां पेस।।525।।

करवै सगली यूनियन, पूंजीवाद विरोध।
नहीं करणौ निजीकरण, मांग मजूरां मोद।।526।।

तालाबंधी री तरफ, जाहर करै जुहार।
मांनै नहीं मजूरिया, हड़तालां सूं हार।।527।।

पूंजीवाद न पनपणौ, कड़ी यूनियन केय।
मजूदरां री मुलक में, सोसण नांही सेय।।528।।

भत्ता वेतन सै बड़ै, छिता संगठण छाप।
हक पावै मजदूर हित, यूनियन परताप।।529।।

सांचा मजूर समरपित, लाल धजारै लार।
देखण मिलवै घणदिसां, वांमपंथी विचार।।530।।

'एटक' 'सीटू' आकरी, हक मजदूरां हेत।
बचाण सोसणसूं विविध, चंगौ राखै चेत।।531।।

भारतीय मजदूर भल, संघ बडो समरथ्थ।
रिच्छा करै मजूर हक, आडा दै दै हाथ।।532।।

ईंटक गती अलायदी, सासण रहिया संग।
मजदूरां रै मारफत, जीत संगठण जंग।।533।।

घर अणगिणती संगठण, करै मजूरां कांम।
पड़िया कई प्रभाव सूं, न्यारा न्यारा नांम।।534।।

कर एकट मजदूर कुल, वसू करावै वोट।
स्वारथ घण निज साधलै, आय संगठण ओट।।535।।

नेता केई निजर में, इसड़ा म्हारै आय।
निज स्वारथ मजदूर नित, मेथी रिया मिलाय।।536।।

तल बल धन बल तांन सूं, बस में रखै मजूर।
चमचा तारीफां चवण, हाजर रहै हजूर।।537।।

मन खाली मजदूर हित, करै संगठण काट।
खाली जेब खीदता, हुवै फजीती हाट।।538।।

सावचेत हुयसंगठण, राखौ एकट रास।
पूंजीवादी पनपता, होय मजूरां हास।।539।।

स्हैर

सुख मजदूरां सहरियां, एकट राखे आस।
जतन जिंदगी जीवणी, और कमी उदास।।540।।

टेंपू रिक्सा टेकसी, सीटी बस संजोग।
मजदूरी आदी मिल्यां आंरौ लै उपयोग।।541।।

सहर सड़क सज सांवठी, बाईसिकल बधांण।
'टीपन' हेंडल टांकिया, उडै मजूर उफांण।।542।।

हलचल माचै हूचटै, बससीटी बड भीड़।
बड़ै ऊततै बीच मैं, छेकड़ पूग्यां छीड़।।543।।

हाकी मौ'लां नगर व्हरै, प्रात मजूरां पूर।
उतावल जावण अधिक, ड्यूटी लागै दूर।।544।।

रेलां जावै रेसरत, देख मजूरां देस।
मीटर किलो पचास मग, पार करावण पेस।।545।।

हालै कई हुलास में, और केई उदास।
सहरां मजदूरां सकल, जुगत कमाई जास।।546।।

बस टेसण भीड़ां वसूं, हां कोहाहल होय।
टेसण रेलां टुकड़ियां, जोह मजूरां जोय।।547।।

जोह काम घण जावतां, दीठ मजूरां दौर।
बियां उदासी बावड़ै, मग पग जोयां मौर।।548।।

पड़गुड़ता जावै पुतर, पुतरी वासूं पैल।
हां टींगर पढाण हित, सजग मजूरां सैल।।549।।

लाग मजूरां लाय दै, सिंझ्या सब्जी साग।
कोकलियां राजी करण, लै फल लाग्या दाग।।550।।

कांमण मजदूरी करण, जागां दूजी जाय।
मजदूरी दोन्यूं मिल्यां, चोखौ काम चलाय।।551।।

जैपुर कोटा जोधपुर, अजमेरू बीकांण।
उदैपुर अलवर अखा, जाय मजूर कमांण।।552।।

निजीकरण सूं आय नित, खरौ मजूरां खेद।
पेट भरण हित करै करै, आं सूं भली उम्मेद।।553।।

गांव
गांव गांव मजदूर गत, कोरौ खेती कांम।
मिलै ससती मजूरियां, देनगियां अर दांम।।554।।

सूड़ करण नैं संचरै, खेत घणी ढिग खास।
दिन आधा री देनगी, वड़िया लै विसवास।।555।।

काढै दोरी किरतका, रोहिम रही तपाय।
मिरगां बाज्यां ठाड मन, आची बिरखा आय।।556।।

बिरखा पैली वायरौ, तेज चाल तड़फाय।
झुकियचा कच्चा झूंपड़ा, आंधी लेय उड़ाय।।557।।

उडतौ देखर आसरौ, नाहंी मनां निरास।
हेवा विपदा रै हुवौ, अमर रूखाली आस।।558।।

हिलमिल भेला होयनै, मदद करै मजदूर।
बिखर्या झूंपड़ बांध दै, सोला आना सूर।।559।।

मिरगा बिरखा मरुधरा, हां सांडाऊ होय।
नाचै मौर मजूर मन, जौर जमानौ जोय।।560।।

टेक्या खेती ट्रेक्टर, रातूं दिवस घुराय।
बहीजा गैरता बीजणी, बीघा दो सौ बाय।।561।।

बिरलां ही नर घर बहै, जोड़ी बैल्यां जौर।
मिनख कायल मसीनरी, तर तर बदतौ तौर।।562।।

मांन न पूछ मजूर री, मुलकां कलजगु मांय।
हाली कांई हांकवै, ट्रेक्टरियां पांण।।563।।

बेय जमी गांवां बगत, तीन दिनां री तांण।
मोटां घर रोकड़ मिलै, पलै ट्रेक्टर पांण।।564।।

बीजावै कर नेवरा, बीजारा सूं बीज।
धाकड़ खेतां रै घणी, धीरप मनड़ै धीज।।565।।

तांण पांण खेती तलब, नेगम आय निनांण।
महती पूछ मजूरियां, बौ'रा करै बखांण।।566।।

गरज रांड मोटी घणी, पूरी तांण'र पांण।
काल काल म्हारै करा, नालै खेत निनांण।।567।।

किण नै राजी हूं करू, ना किै नाराज।
हांमल भरली हालस्यूं, करण मजूरी काज।।568।।

मिलता पइसा मोकला, तोई सकै न जाय।
बौ'रो कमती देय बस, डग लेणौ डरपाय।।569।।

बोर्या दीधी बाजरी, मास जेठ रै मांय।
बो गुण कीकर भूलगौ, बौ'रो यूं बतलाय।।570।।

दिन दोरप दुख दरद दर, सका देय नर साथ।
मन मजूर भूलै नहीं, हुकम हजूरी हाथ।।571।।

बौ'रो फोरौ मन वसू, लूक लगावण लाय।
रफत पड़ी तनड़ै रगत, खिपत मजूरां खाय।।572।।

सावण हरियल सोवणी, धरा धजर पट धार।
सिंझ्यारा ज्यूं सोड्सी, सजै घणा सिणगार।।573।।

पिव आया परदेस सूं, हरियल ज्यूं धण होय।
सजी धजी धर सावणी, जांणक इन्दर जोय।।574।।

सीजै चुल्लै लापसी, भीजै नेह गरुर।
झूलै बागां जोबना, मनफूलै मजदूर।।575।।

बीतै सावण भादवौ, आछी रख उर आस।
खेतीहर मजदूर खुस, जोरां साखां जास।।576।।

मैंणत मजदूरां मही, गिनरत नांही गांम।
तपै आसोजची तावड़ौ, चवै पसीनौ चांम।।577।।

आईसाल आसोज में, झोलो देवै झाट।
सरस फसलां सुखायदै, हांण भाव अन हाट।।578।।

सिट्यां आई सांतरी, बधी बाजरी बौत।
तिकण घणी रै तोड़ता, हरख मजूरां हौत।।579।।

आया मूंग अंवेरिया, मगन बाढिया मोठ।
तिल तिड़ता बाढै तुरत, खेरोई ना खोट।।580।।
गम्पी खाय ग्वार री, सहै मजूर सरीर।
जोगी देख ज्वांर री, सिट्यां तोड़ण सीर।।581।।

खेती निरभर छै खरा, खेतीहर मजदूर।
मलिै जिसी में मस्त रै, नांणा सुसती नूर।।582।।

गिणत दुसाख्या गांवड़ा, पूर मजूरां पीक।
जरुर पड़ै नित जाव में, ठाला रहै न ठीक।।583।।

बालपणौ
मन चिंता घर मजूरण, करती रहवै कांम।
नौ वे महिनै नार नैं , आवै ना आरांम।।584।।

भोजन संतुलित ना बणै, भावड़ ज्यावै भूल।
सराजांम भीं नार रै, मजूदरां माकूल।।585।।

खचौ जच्चा रौ खरौ, बच्चां री बेगार।
फीस डागदर नरस फुल, पूगै आराम पार।।586।।

नोट बधाी नांव सूं, फ्रास नरमस मन फौर।
लूट मची मजदूर लग, जच्चा वारड जौर।।587।।

कोरी फीस कमांण नै, अपरेसन उकरास।
डंड मजूरां डागदर, खरौ उगावै खास।।588।।

तेड़ जिनस जापा तणी, माथै चोटी मांड।
गुल बांटतौ गवाड़ियां, हरख मजूरां हांड।।589।।

गिनरत गीगै गीगली, नेह फरक निसवार।
अपणायत मजदूर उर, अजै नहीं इकसार।।590।।

रमण बालकां रमतिया, दीखै कोसां दूर।
चीपां रेती चीरड़ा, पेख रमतिया पूर।।591।।

धनिक टाबरां री धजर, छिकै रमतिया छोड।
घर मजूर बालक गहर, हुलस कमावण होड।।592।।

नैन्यौ झिलै नमूनियै, बिरखा भीजत बार।
अरजी नांणा ऊपड़ै, डागदरां रै द्वार।।593।।

ठांठरियौ ठाडौ ठहर, सुध ना बाल सरीर।
सिसकी भरतौ सरद सूं, नैणां झरतौ नीर।।594।।

बालपणौ दोरौ बहुत, मजदूरां घर मांय।
सराजांम नीं सरद रा, तनां मांदगी ताय।।595।।

सहन करै बालक सहज, तावड़ियै रौ तेज।
ढाव्यां बि नरोतौ ढबै, जामण पूगण जेज।।596।।

घोड़ी हीड़ै गीगलौ, लूवां री लपटांह।
छछील बोझी छांहली, नखै न नारी नाह।।597।।

छोरां छोरी छोड छिग,जांमण खेतां जाय।
बैन रुखालै बीर नैं, पांणी माड्यां पाय।।598।।

बाप गयौ बेगार में, अफसर रै आदेस।
राजी कबनै राखियां, पड़ै मजूरां पेस।।599।।

काट्या जमिया काय रै, नांवण नांही नीर।
फाट्या गाभां में फिरै, सोजी कठै सरीर।।600।।

पन्ना 6

 

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